Tuesday, 15 December 2020

क्या शराब और धूम्रपान पुरुषों की प्रजनन क्षमता और सेक्स लाईफ को प्रभावित करते हैं?

निःसंतानता करीब 15 प्रतिशत जोड़ों को प्रभावित करने वाली एक आम समस्या बन गयी है। बिना गर्भनिरोधक के इस्तेमाल के एक साल तक प्रयास के बाद भी गर्भधारण में सफल नहीं होना निःसंतानता के रूप में परिभाषित किया जाता है । शराब और सिगरेट पीने जैसे लाइफस्टाइल फेक्टर्स को पुरुष प्रजनन क्षमता को प्रभावित करने वाले कारक बताया गया है। इनका सेवन स्पष्ट रूप से शुक्राणु बनावट और उत्पादन को प्रभावित करता है। धूम्रपान विषाक्त पदार्थों का स्त्राव करता है जो मुख्य रूप से शुक्राणु की गतिशीलता और वीर्य की गुणवत्ता में बाधा डालता है। शराब और सिगरेट की मात्रा का वीर्य की गुणवत्ता में गिरावट के अनुपात से सीधा संबंध है। पुरुष प्रजनन क्षमता पर उनके हानिकारक प्रभाव से बचने के लिए और प्रजनन क्षमता में सुधार लाने के लिए सिगरेट, शराब और अवैध ड्रग्स के उपयोग, मनोवैज्ञानिक तनाव, मोटापा, भोजन और कैफिन उपयोग जैसे कुछ जीवनशैली कारकों में बदलाव की सलाह दी जाती है।

शराब के अधिक सेवन और धूम्रपान से टेस्टोस्टेरोन का स्तर कम हो सकता है और यौन क्रिया को प्रभावित कर सकता है। टेस्टोस्टेरोन पुरुष प्रजनन प्रक्रिया के लगभग सभी घटकों में सीधे शामिल होता है और टेस्टोस्टेरोन में कमी कई क्लिनिकल समस्याओं से जुड़ी होती है, जिसमें कम प्रजनन क्षमता, वीर्य की मात्रा में कमी, नपुंसकता और इरेक्शन प्राप्त करने में असमर्थता शामिल है।

शराब का सेवन है हानिकरक

पुरुषों में शराब की आदत का संबंध नपुंसकता, वृषण (टेस्टिस) विकार, स्त्री रोग, और यौन इच्छा में कमी के साथ जुड़ा हुआ है। अधिक शराब का सेवन महत्वपूर्ण शुक्राणुओं की बनावटध्आकार (जिससे स्पर्म शेप या स्पर्म मोटिलिटी भी कहा जाता है) में विकार का कारण बनता है।

पुरूषों में अल्कोहल गतिशीलता के प्रतिशत, सीधी-रेखा में गति और शुक्राणु के वक्रता गति में महत्वपूर्ण कमी लाता है और अपरिवर्तनीय पूंछ दोषों में वृद्धि के साथ सामान्य आकृति, स्पर्म की संख्या में भी महत्वपूर्ण कमी आती है। अधिक शराब पीने वालों की औसत टेस्टिस साईज थोड़ी कम लेकिन नहीं पीने वालों की तुलना में काफी कम देखी गयी है। इस प्रकार शराब से टेस्टोस्टेरोन का स्तर कम होता है, यह न केवल उनके सामान्य मोर्फोलोजिकल विकास और शुक्राणुओं की परिपक्वता में बाधा उत्पन्न करता है, बल्कि महत्वपूर्ण टेराटोजूस्पर्मिया (आकृति में दोष) पैदा करता है, यह टेस्टीक्यूलर जर्म कोशिकाओं द्वारा शुक्राणु उत्पादन को धीमा कर देता है। वृषण पर अल्कोहल के प्रत्यक्ष जहरीले प्रभाव से वीर्य उत्पादक ट्यूबलर फंक्शन में कमी आती है, वीर्य का देरी द्रवीकरण और कम शुक्राणु गतिशीलता की समस्या होती है।

रोजना शराब का सेवन सामान्य शुक्राणु की आकृति में विकार उत्पन्न करता है और इसका शराब सेवन की अवधि व मात्रा से कोई संबंध नहीं है।

धूम्रपान शरीर को पहुँचता है भारी नुक्सान

सक्रिय और निष्क्रिय धूम्रपान करने वालों दोनों के लिए धूम्रपान एक खतरा है। धूम्रपान से डीएनए को नुकसान होता है जिससे गर्भपात, जन्मजात और संतान में जन्मजात कैंसर का खतरा अधिक होता है। एस्थेनोजूस्पर्मिया (शुक्राणुओं की गतिशीलता में कमी) पुरुष निःसंतानता की स्थिति में एक “प्रमुख” कारक प्रतीत होता है। हालांकि शुक्राणु जीवित और संरचनात्मक रूप से सामान्य हो सकते हैं लेकिन अगर वे गतिहीन हैं, तो अण्डे को निषेचित करने के लिए महिला जननांग की यात्रा पूरी करने में विफल होंगे।

सिगरेट पीने की कोई “सुरक्षित” मात्रा नहीं है जैसा कि कभी-कभार धूम्रपान करने वालों में एस्थेनोजूस्पर्मिया की प्रबलता से परिलक्षित होता है। भारी और मध्यम धूम्रपान वीर्य की गुणवत्ता को कम करके टेराटोजूस्पर्मिया की स्थिति उत्पन्न कर सकता है। धूम्रपान प्रजनन हार्मोन संबंधी विकार, स्पर्मेटोजेनेसिस और शुक्राणु की परिपक्वता में हानि और शुक्राणुओं की कार्यक्षमता के नुकसान का कारण बनता है। धूम्रपान के कारण निकलने वाले विषाक्त पदार्थों का सीधा संबंध वीर्य फ्लूइड कम्पोनेंट्स और सहायक ग्रंथियों के साथ होता है, जो कि उनके तरल पदार्थ के स्राव में योगदान करते हैं, जिससे उनकी चिपचिपाहट बढ़ जाती है, वीर्य की मात्रा कम हो जाती है और द्रवीकरण समय में देरी होती है, जो एस्थेनोजोस्पर्मिया को प्रकट करता है। आरओएस की बढ़ी हुई मात्रा को स्पर्म के डीएनए के लिए हानिकारक दिखाया गया है। इस प्रकार पी गयी सिगरेट के अनुपात का स्पर्म की जीवित रहने की क्षमता और आकृति पर सीधा प्रभाव पाया गया।

आपकी सेक्स लाइफ को करता है नष्ट धूम्रपान और शराब का सेवन

जिन पुरूषों को 8 प्रतिशत से 58 प्रतिशत तक की मात्रा के साथ शराब की लत है उनमें यौन संबंधी विकार सामने आ सकते हैं। अधिक शराब की लत के कारण यौन उत्तेजना में कमी, ओर्गेज्म का आनंद लेने में असमर्थता और मंद स्खलन की समस्या हो सकती है। लगातार वृषण (टेस्टिस) और सेक्स हार्मोन की क्षति के परिणामस्वरूप दूसरी यौन समस्याओं तथा स्तंभन दोष और निःसंतानता की शुरुआत हो सकती है। शराब और धूम्रपान करने वालों में टेस्टोस्टेरोन के स्तर में कमी के कारण कामेच्छा में कमी और स्तंभन दोष की समस्या देखी गयी है साथ ही साइकोजेनिक कारण जैसे सामाजिक-सांस्कृतिक कारक, पारस्परिक या संबंधों में समस्याएं और चिकित्साजनित कारक भी जुड़े हुए थे।

कामुकता मनुष्य से अभिन्न रूप से जुड़ी हुई है, इसमें प्यार, स्नेह और यौन घनिष्ठता शामिल है जो स्वस्थ रिश्तों के साथ-साथ व्यक्तिगत सेहत में योगदान देती है। शराब और धूम्रपान से यौन अक्षमता पैदा होती है, जो यौन रोग को संदर्भित करती है, “सेक्सुअल रिस्पोंस साइकिल” से जुड़े कुछ विशिष्ट व्यवधान जैसे इच्छा, कामोत्तेजना, ओरगेजम को शामिल करती है।

लम्बे समय से शराब का सेवन और भारी धूम्रपान का पुरुष प्रजनन हार्मोन और वीर्य की गुणवत्ता पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है और जिन्हें लत है वे निःसंतानता या असमर्थता के शिकार हो सकते हैं। निःसंतानता विशेषज्ञ द्वारा अपने रोगियों को उनकी प्रजनन क्षमता पर धूम्रपान के दुष्प्रभावों के बारे में जानकारी दी जानी चाहिए और अगर वे संतान चाहते हैं तो एक सामान्य सेक्सुअल जीवन के साथ धूम्रपान और शराब के सेवन से बचने और स्वस्थ जीवनशैली बनाए रखने की सलाह देनी चाहिए।

निःसंतानता के लिए परामर्श या अधिक जानकारी के लिए आप हमें इस नंबर पे कॉल कर सकते है +91 9205268976 और अपॉइंटमेंट ले कर मिलने आ सकते है। मदर्स लैप आईवीएफ सेंटर एक दशक पुराना केंद्र है, जिसमें अनुभवी और योग्य डॉक्टर आपकी सहायता के लिए उपलब्ध हैं। आप हमें फेसबुक पे भी फॉलो कर सकते है और वेबसाइट पे भी बाकी जानकारी उपलभ्द कर सकते है।

No comments: