Thursday, 11 June 2020

क्योंकि छूना है आसमां

मातृत्व का अहसास किसी भी हाल में जुबान से बयां नहीं किया जा सकता। मां बननें का सपना हर एक शादीशुदा महिला देखती है। व्यस्तम जीवनशैली और महिलाओं के कामकाजी होने या बांझपन के चलते भी महिलाओं के लिए संतान सुख अब परेशानियों को सबब नहीं रहा। इन विट्रो फर्टिलाइजेशन यानी आईवीएफ एक ऐसी तकनीक है जिसमें महिलाओं में कृतिम गर्भाधान किया जाता है। 

यह तकनीक महिलओं के लिए वरदान साबित हुई है। बीते दशक में इस तकनीक के प्रयोग बेहद बढ गया है। भागदौड और तनाव भरी जिंदगी में बांझपन और किराए की कोख यानी सरोगेट मदर्स का चलन भी बढा है। बहुत से महिलाएं ओवम यानी अंडाणु न बननाए गर्भाशय का कमजोर होनाए थ्रेटंड एबरेशन और हेबिचुअल मिसकेरिज जैसे मामलों के कारण मां नही बन पातीं थी। 

महिलाओं में 30 के बाद और पुरूषों में 35 वर्ष के बाद प्रजनन क्षमता कम होने लगती है। आयु बढने के साथ ही महिलाओं में डिम्ब ग्रंथियों से स्त्री बीज कम संख्या में उत्सर्जित होने लगते हैं और वे आसानी से निषेचित नहीं होते हैं। साथ ही जीन से जुडी विकृतियों के बढने का भी खतरा रहता है। गर्भाशय की धारण क्षमता कम हो जाने से गर्भाशय गर्भस्थ भू्रण को संभालने में असमर्थ रहता है। इस वजह से गर्भपात जैसी समस्याओं का भी खतरा बढ जाता है। ऐसे में आईवीएफ तकनीक का प्रयोग कारगर होता है।
  • डिंक कपल 
डबल इनकम नो किड ;डिंक कपलद्ध धारणा रखने वाली महिलाएं भी इस तकनीक को लेकर बहुत उत्साहित है। कुछ वर्षाें पहले तक इस सपने को पूरा करने की कीमत अधिकतर कामकाजी महिलाओं को अपनी नौकरी छोडकर चुकानी पडती थी। लेकिन वक्त ने उन्हें इस जंग में भी जीत दिला दी है। आजकल मेट्रो शहरों में ज्यादातर कपल डबल इनकम नो किड में भरोसा रखते हैं। 

कुछ सालों पहले तक भी युवतियां ज्यादा से ज्यादा पैसे कमाने पर विश्वास रखती थीं लेकिन इसके कारण अपनी फैमली लाइफ से कोई समझौता नहीं करती थीं। लेकिन अब कई बडे शहरों में ऐसा आसानी से देखने को मिल जाता है। इन शादीशुदा जोडों को जब तक इस बात का ख्याल आता है कि अधिक पैसा कमाने के चक्कर में उन्होंने अपने परिवार बनाने पर ध्यान नहीं दिया तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। परंतु आईवीएफ तकनीक के बदौलत ऐसी महिलाओं को भी संतान का सुख आसानी से मिल जाता है। इस तकनीक से मनचाहे गुणों वाली संतान उत्पन्न करने के प्रयास भी होते हेै।
  • देर से होने वाली शादियां
45 साल के बाद मनुश्य का शरीर इस तरह के बड़े परिवर्तनों को झेलने की क्षमता खो देता है। पूरी दुनिया में प्रजनन संबंधी विषेशज्ञों और डाॅक्टरों का आम मत है कि 50 वर्ष की उम्र के बाद महिला के गर्भधारण और बच्चे को जन्म देने की प्रक्रिया जोखिम से भरी होती है, हांलाकि बीच-बीच में ऐसी खबरें पढ़ने को मिल जाती हैं कि 60 या यहां तक कि 65 साल की महिला ने बच्चों को जन्म दिया। 

40 वर्ष से कम उम्र की महिलाओं में गर्भधारण की संभावना कुछ कारणों से कम हो सकती है। डायबीटीज या हाइपरटेंशन जैसी बीमारियां होने के कारण अंडाणु कम बनते हैं या उम्र के कारण गर्भाशय में परिवर्तन होने लगते हैं और डिलीवरी कठिन हो जाती है। इसके अलावा जोड़ों में इतना लचीलापन नहीं रह जाता कि डिलीवरी आसानी से हो सके।
  • आईवीएफ तकनीक के बारे में 
आईवीएफ यानी इन विट्रो फर्टिलाइजेशन एक ऐसी तकनीक है जिसमें महिलाओं में कृतिम गर्भाधान किया जाता है। इसमें निंसंतान दंपत्तियों के अंडे व शुक्राणु को प्रयोगशाला में निषेचित कर भू्रण बनाया जाता है और उसके बाद उसे महिला के शरीर में ट्रांसफर किया जाता है। 

आईवीएफ तकनीक का प्रयोग कर देश विदेश में कई महिलाओं को मां बनने का सुख मिल पाया है। आज हर एक महिला मां बनने का अहसास हासिल कर सकती है।

1 comment:

  1. Nice blog post. Last week my wife found the best IVF in Punjab at the leading and trusted Dr Sumita Sofat Hospital.

    ReplyDelete