Saturday 31 March 2018

मां बनने का सपना न रह जाए अधूरा!


आजकल कम उम्र में ही कुछ ऐसी बीमारियां शरीर को घेर लेती हैं जिनसे उबर पाना इतना आसान नहीं होता है।
हर लडकी का सपना होता है मां बनना। मां बनने की उम्र पर आकर किसी लडकी को यह पता चले कि वह कभी मां नहीं बन सकती तो उसके लिए दुनियां मानों रूक सी जाती है। मां बन पाने के लिए कई कारक जिम्मेदार होते हैं। जिनमें से एक है ओवरीज का फेल हो जाना। अगर आपकी ओवरीज फेल हो जाए तो जल्द से जल्द किसी स्त्री रोग विशेषज्ञ से संपर्क करें और साथ हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरपी के लिए जाएं।

पीओएफ यानी प्रीमेच्योर ओवरीज फेल
पीओएफ का मतलब है 40 की उम्र से पहले ओवरीज का सामान्य काम करना. मतलब कि ओवरीज का सामान्य रूप से एस्ट्रोजन हार्मोन का निर्माण होना या नियमित रूप से अंडे का रिलीज होना. इससे बांझपन या बच्चा होना आम समस्या होती है. मदर्स लैप आईवीएफ सेंटर की आईवीएफ विशेषज्ञ डाॅक्टर शोभा गुप्ता का कहना है कि कई बार उम्र से पहले ओवरीज के फेल होने को मीनोपॉज से जोड़ दिया जाता है लेकिन ये स्थितियां भिन्न हैं. किसी महिला की ओवरीज फेल होती है तो उसे अनियमित माहवारी हो सकती है और वह गर्भधारण भी कर सकती है. उम्र से पहले मीनोपॉज का अर्थ है कि माहवारी का स्थायी तौर पर रुक जाना और इसके बाद गर्भवती होना

Thursday 22 March 2018

Trying for a baby? First read this!

Are you or someone you know, trying for a baby? These changes to your lifestyle could get you on your way...

Eat a Whole Food Diet
A great method for boosting fertility and overall well-being is to eat a whole foods diet. When trying to conceive, eat leafy greens, organic dairy and high-quality protein. Not only will this improve your fertility, but eating healthy will boost your well being throughout pregnancy.

Get Regular Exercise
Getting the right amount of exercise can do wonders for your mood, well-being and it can may even help with boosting fertility. If you’re struggling to conceive due to polycystic ovarian syndrome (PCOS) or are overweight, regular exercise can help regulate your

Wednesday 7 March 2018

नवजात शिशु की देखभाल में सिर्फ माने विशेषज्ञ की सलाह


नवजात शिशु की देखभाल के लिए मां को समुचित जानकारी मेडिकल पेरामेडिकल स्टाफ द्वारा दी जानी
चाहिए। जहां तक संभव हो सके प्रसव हमेशा अच्छे अस्पताल में ही होना चाहिए ताकि चिकित्सक और नर्स की सेवाएं मिल सकें। इससे जटिलताओं की आशंका कम हो जाती है। किसी भी प्रकार की जटिलता पेश आने पर हॉस्पिटल में तुरंत उससे निपटने की व्यवस्था की जा सकती है।

मां के दूध का नहीं है कोई विकल्प
कुछ लोग आपको यह सलाह दे सकते हैं कि मां के दूध की जगह आप बाजार के डिब्बे बंद दूध को प्राथमिकता दें कारण कोई भी हो सकता है जैसे कि मां अपने फिगर को ध्यान में रख रही हो या फिर आॅफिस जाने काम की व्यस्तता हो। लेकिन यह बिल्कुल गलत है।
डाॅक्टर शोभा गुप्ता बताती हैं कि शुरुआती 6 महीनों तक माता का दूध पीने वाले बच्चे अच्छी तरह विकसित होते हैं। संक्रमण से उनका बचाव होता है। साथ ही उनमें अपने माता-पिता के प्रति भावनात्मक लगाव लंबे समय तक बना रहता है। 6 महीने की उम्र के बाद बच्चे को माता के दूध के अलावा ऊपरी आहार भी देना चाहिए। जन्म के आधे घंटे के अंदर बच्चे को