चाहिए। जहां तक संभव हो सके प्रसव हमेशा अच्छे अस्पताल में ही होना चाहिए ताकि चिकित्सक और नर्स की सेवाएं मिल सकें। इससे जटिलताओं की आशंका कम हो जाती है। किसी भी प्रकार की जटिलता पेश आने पर हॉस्पिटल में तुरंत उससे निपटने की व्यवस्था की जा सकती है।
मां के दूध का नहीं है कोई विकल्प
कुछ लोग आपको यह सलाह दे सकते हैं कि मां के दूध की जगह आप बाजार के डिब्बे बंद दूध को प्राथमिकता दें कारण कोई भी हो सकता है जैसे कि मां अपने फिगर को ध्यान में रख रही हो या फिर आॅफिस जाने व काम की व्यस्तता हो। लेकिन यह बिल्कुल गलत है।
डाॅक्टर शोभा गुप्ता बताती हैं कि शुरुआती 6 महीनों तक माता का दूध पीने वाले बच्चे अच्छी तरह विकसित होते हैं। संक्रमण से उनका बचाव होता है। साथ ही उनमें अपने माता-पिता के प्रति भावनात्मक लगाव लंबे समय तक बना रहता है। 6 महीने की उम्र के बाद बच्चे को माता के दूध के अलावा ऊपरी आहार भी देना चाहिए। जन्म के आधे घंटे के अंदर बच्चे को
मां का दूध मिलना चाहिए। जीवन के पहले 6 महीनों तक बच्चे के लिए मां का दूध ही संपूर्ण आहार है। इस दौरान मां के दूध के अलावा कोई भी चीज न दें। कई लोग बच्चे को पानी, घुट्टी, शहद, नारियल पानी, चाय या गंगा जल पिलाने की गलती करते हैं, ऐसा नहीं करना चाहिए।
जन्म के तुरंत बाद शिशु को पोलियो की दवा, बीसीजी और हिपेटाइटिस का टीका देना चाहिए। शिशु को ठंड से बचाने के लिए उसे पूरे कपडे पहनाने चाहिए। कपडों के साथ ही उसे टोपी, ग्लवज और मोजे पहनाकर रखना चाहिए। बच्चे को मां के समीप रखना चाहिए, क्योंकि मां के शरीर से बच्चे को गर्मी मिलती है।
काजल पहुंचा सकता है नुकसान
बच्चों की आंखों में काजल लगाया जाता है। कुछ लोग आपको यह सलाह देंगे कि कि काजल लगाने से बच्चों की आंखें बड़ी होती हैं। बल्कि ऐसा बिल्कुल नहीं किया जाना चाहिए, यह एक मिथ्या प्रचारित किया जाने वाला मिथ ही है। सही मायनों में छोटे बच्चों को आंखों में काजल नहीं लगाना चाहिए यह नुकसानदायक हो सकता है।
नवजात शिशु के वजन पर माने सिर्फ अपने विशेषज्ञ की सलाह
नवजात शिशु का वजन निर्धारित होने के कई कारक होते हैं। जरूरी नहीं है कि सभी बच्चे जन्म के बाद एक ही वजन के हों इसलिय अगर कोई आपसे अपने बच्चे का वजन बताता है तो उसे बिल्कुल भी गंभीरता से न लें। आपके विशेषज्ञ की राय ही सर्वोत्तम होती है। डाॅक्टर शोभा गुप्ता बताती हैं कि कई बार लोगों की राय मान कर कुछ लोग अपने बच्चों को बिना विशषज्ञ की राय के अतिरिक्त आहार देने लगते हैं जो कि बिल्कुल भी सही नहीं हैं, ऐसा करके आप अपने नवजात शिशु को हानि भी पहुंचा सकते हैं।