दोनों पति-पत्नी में सेकेंडरी इनफर्टिलिटी के कारण हो सकते हैं--
महिलाओं में
- एक्टोपिक गर्भधारण के कारण फैलोपियन ट्यूब को नुकसान
- पूर्व गर्भधारण के दौरान हुई परेशानियां जैसे कि सी-सेक्शन
- रुकावट जो फाइब्रॉएड के कारण होती है
- मातृ आयु में वृद्धि और अंडे का कम उत्पादन
पुरुषों में
- बढ़ती उम्र, वजन बढ़ना, अत्यधिक धूम्रपान और शराब पीना
- कुछ दवाओं का उपयोग
- शुक्राणु उत्पादन में कमी और वितरण
यदि आप सेकेंडरी इनफर्टिलिटी के इन कारणों को नोटिस करते हैं, तो आपको तुरंत एक विशेषज्ञ से परामर्श करना चाहिए। याद रखें कि आप अकेले नहीं हैं। मदरस लैप आईविऍफ़ सेंटर इसमें आपकी सहायता कर सकता है। अधिक से अधिक लोग अब भारत में सेकेंडरी इनफर्टिलिटी की समस्या का सामना कर रहे हैं और इसलिए, सूचित किया जाना बेहतर है।
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इसी तरह, पूजा ढींगरा (नाम बदला हुआ) ने अपने मिड 30 में जब एक दूसरे बच्चे के लिए प्रयास करना शुरू किया, तो यह जानकर आश्चर्य हुआ कि कम ओवेरियन रिजर्व होने के कारण वह अब गर्भवती नहीं हो सकती है। उन्हें ये मालूम ही नहीं था की उम्र के साथ साथ हमारे गर्भवती होने के चान्सेस भी कम होने लगते है। मदरस लैप आईविऍफ़ सेंटर में आईवीएफ उपचार के दो राउंड के बाद अब 39 वर्षीय पूजा ढींगरा अपने दूसरे बच्चे के साथ गर्भवती हुई।
हालांकि इनफर्टिलिटी आम तौर पर ध्यान आकर्षित करता है, किन्तु सेकेंडरी इनफर्टिलिटी के साथ ऐसा नहीं है। कई महिलाएं अपने पहले बच्चे को जन्म देने के बाद अपने दूसरे बच्चे को जन्म देने के लिए संघर्ष करती हैं।
सेकेंडरी इनफर्टिलिटी एक जोड़े के लिए बहुत ही निराशा और भ्रमित करने जैसा हो सकता है जो अतीत में बिना किसी रुकावट के जल्दी से गर्भवती हो गए थे। मैंने हाल ही में सेकेंडरी इनफर्टिलिटी के बहुत सारे मामले देखे हैं। मैं कहूंगी कि गलत खान-पान के साथ महिलाओं में आलस्य, प्राइमरी इनफर्टिलिटी के साथ-साथ सेकेंडरी इनफर्टिलिटी की संभावना को भी बढ़ाती है। शहरी जीवनशैली और फास्ट फूड ज्यादा खाना इस समस्या को ओर भी बढ़ाता हैं।
यदि किसी जोड़े का 35 वर्ष की आयु में पहला बच्चा था, और वे 36 वर्ष या उससे अधिक ऊपर दूसरे बच्चे के लिए प्रयास करना चाहते हैं, तो यह थोड़ा चुनौतीपूर्ण हो सकता है क्योंकि यह एक ऐसा समय है जहां उनकी प्रजनन क्षमता स्वाभाविक रूप से काफी कम हो जाती हैं।
साथ ही, केवल महिलाओं को दोष देना उचित नहीं है। पुरुष साथी की बढ़ती आयु, मोटापा इत्यादि , में शुक्राणु की संख्या कम होती है और समग्र रूप से प्रजनन क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
जोड़े को सही समय पर ढंग से अपनी गर्भावस्था की योजना अथवा फॅमिली प्लानिंग बनाने की जरूरत है ताकि सेकेंडरी इनफर्टिलिटी को दूर किया जा सके। उन्हें तीन साल से अधिक बच्चों में गैप नहीं रखना चाहिए। महिलाओं को अपने अंडों को संरक्षित यानी एग फ्रीज करना चाहिए, अगर वे पेरेंटिंग में देरी करने की सोच रहे हैं। जोड़े को कोशिश करते रहना चाहिए क्योंकि 35 प्रतिशत अभी भी दो साल के भीतर स्वाभाविक रूप से गर्भ धारण कर सकते है। यदि कोई महिला 30 वर्ष से कम आयु की है, तो उसके पास 30 वर्ष या अधिक आयु की महिला की तुलना में गर्भ धारण करने की संभावना अधिक है। हमें यह नहीं भूलना चाइये कि आयु एक महत्वपूर्ण कारक है और सफल गर्भाधान का पूर्वानुमान है।
सेकेंडरी इनफर्टिलिटी का उपचार बांझपन की दवाओं से लेकर आईयूआई ट्रीटमेंट या आईवीएफ ट्रीटमेंट हो सकता है ये निर्भर करता है की आपके डॉक्टर आपको क्या सालाह देते है आपकी जांच करने के पश्चात्।
यह न भूलें कि आपके पास पहले से ही एक बच्चा होने का तथ्य निश्चित रूप से आपके पक्ष में काम करेगा। यदि आप सेकेंडरी इनफर्टिलिटी से जूझ रहे हैं, तो जान लें कि आप अकेले नहीं हैं और आधुनिक चिकित्सा के साथ, काफी कुछ किया जा सकता है। बस हार न माने।
सेकेंडरी इनफर्टिलिटी कोई बीमारी नहीं है इससे झूझ रहे लोगो में जागरूकता की कमी है! निःसंतानता के लिए परामर्श या अधिक जानकारी के लिए आप हमें इस नंबर पे कॉल कर सकते है +91 9205268976 और अपॉइंटमेंट ले कर मिलने आ सकते है। मदर्स लैप आईवीएफ सेंटर एक दशक पुराना केंद्र हैए जिसमें अनुभवी और योग्य डॉक्टर आपकी सहायता के लिए उपलब्ध हैं। आप हमें फेसबुक पे भी फॉलो कर सकते है और वेबसाइट पे भी बाकी जानकारी उपलभ्द कर सकते है।